खुदगर्ज
जलते जलते खुदहीकी आसुओमें बह गये हो
अपनीही कहानी खुदको आज तूम कह गये हो
क्या बात हैं या कोई बात नहीं , फिर तनहा क्यू ?
लगता हैं तूम अपनाही सितम खुद सह गये हो ...
जिंदगी कल क्या थी और वैसेभी आज क्या हैं ?
खुदके पास आते आते कितने तूम दूर रह गये हो ...
वैसेभी तूम मिलते नहीं आजकल किसीको, कहाँ गये ?
वजह हो गयी हैं कोई , या बता दो बीनावजह गये हो ?
अब संभलनाभी मुश्किल हैं जब खुदपर भरोसा नहीं
कितने तूम खुदगर्ज हो जो खुदमेंही ढह गये हो !
...देवीदास हरिश्चंद्र पाटील
जलते जलते खुदहीकी आसुओमें बह गये हो
अपनीही कहानी खुदको आज तूम कह गये हो
क्या बात हैं या कोई बात नहीं , फिर तनहा क्यू ?
लगता हैं तूम अपनाही सितम खुद सह गये हो ...
जिंदगी कल क्या थी और वैसेभी आज क्या हैं ?
खुदके पास आते आते कितने तूम दूर रह गये हो ...
वैसेभी तूम मिलते नहीं आजकल किसीको, कहाँ गये ?
वजह हो गयी हैं कोई , या बता दो बीनावजह गये हो ?
अब संभलनाभी मुश्किल हैं जब खुदपर भरोसा नहीं
कितने तूम खुदगर्ज हो जो खुदमेंही ढह गये हो !
...देवीदास हरिश्चंद्र पाटील
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा