बुधवार, २७ मे, २०२०

Hindi Gazal

खुदगर्ज

जलते जलते खुदहीकी आसुओमें बह गये हो
अपनीही कहानी खुदको आज तूम कह गये हो


क्या बात हैं या कोई बात नहीं , फिर तनहा क्यू ?
लगता हैं तूम अपनाही सितम खुद सह गये हो ...


जिंदगी कल क्या थी और वैसेभी आज क्या हैं ?
खुदके पास आते आते कितने तूम दूर रह गये हो ...


वैसेभी तूम मिलते नहीं आजकल किसीको, कहाँ गये ?
वजह हो गयी हैं कोई , या बता दो बीनावजह गये हो ?


अब संभलनाभी मुश्किल हैं जब खुदपर भरोसा नहीं
कितने तूम खुदगर्ज हो जो खुदमेंही ढह गये हो  !




...देवीदास हरिश्चंद्र पाटील

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