तेरा मतला मेरा काफिया
जो न मौका मिला था कभी, वो मौका मिलने लगा
बढ़ने लगी मुलाकाते .... प्यार में रंग भरने लगा ...
चेहरे पे हंसी आ गयी, दिल में उमंग छा गयी
तिरछी नजर का इशारा अब समझने लगा
नींद ऐसी लगी... ख्वाब ऐसे आये के पूछो मत
किसी तालाब में चांद उतरकर थिरकने लगा
न जाने ये क्या हो गया, न जाने ये कैसे हो गया
तेरी आखो में मेरा खयाल अब झलकने लगा
गझल, तुम मेरी जिंदगी बन गयी हो, क्या कहूँ ?
तेरा मतला मेरा काफिया इक दुजेमें ढलने लगा !
....देवीदास हरिश्चंद्र पाटील
२१.०८.२०२३ दोपहर ०३.३०
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