मंगळवार, २२ ऑगस्ट, २०२३

गझल , तूम मेरी जिंदगी बन गयी हो ...

तेरा मतला मेरा काफिया 


जो न मौका मिला था कभी, वो मौका मिलने लगा 

बढ़ने लगी मुलाकाते ....  प्यार में रंग भरने लगा ...


चेहरे पे हंसी आ गयी, दिल में उमंग छा गयी

तिरछी नजर का इशारा अब समझने लगा


नींद ऐसी लगी... ख्वाब ऐसे आये के पूछो मत

किसी तालाब में चांद उतरकर थिरकने लगा


न जाने ये क्या हो गया, न जाने ये कैसे हो गया

तेरी आखो में मेरा खयाल अब झलकने लगा 

 

गझल, तुम मेरी जिंदगी बन गयी हो,  क्या कहूँ ? 

तेरा मतला मेरा काफिया इक दुजेमें ढलने लगा !


....देवीदास हरिश्चंद्र पाटील

२१.०८.२०२३ दोपहर ०३.३०

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